मुख्यमंत्री धामी ने भी अचानक केदारनाथ पहुंच कर बाबा केदार के दर्शन किए और वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। सियासी जानकार इसे संयोग नहीं कांग्रेस पर पलटवार की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा शुरू कर दी है।
पीएम मोदी की धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा और अगाध आस्था के केंद्र केदारनाथ धाम के नाम पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। धाम के नाम का दुरुपयोग करने के खिलाफ कानून बनाने के धामी सरकार के एलान के बावजूद केदारनाथ पर सियासी घमासान जारी है। कांग्रेस ने बुधवार को हरिद्वार से केदारनाथ की प्रतिष्ठा की रक्षा के नाम पर पद यात्रा शुरू कर दी।
इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी अचानक केदारनाथ पहुंच कर बाबा केदार के दर्शन किए और वहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों का जायजा लिया। सियासी जानकार इसे संयोग नहीं कांग्रेस पर पलटवार की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। उनके मुताबिक, ये सारी सियासी कसरत केदारनाथ सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर है, जो भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हो चुकी है।
सियासी संग्राम और तेज होने के पूरे आसार
हिंदुओं की आस्था के पवित्र धाम बदरीनाथ की सीट पर उपचुनाव जीतने के बाद प्रदेश कांग्रेस खासी उत्साहित है। अब पार्टी ने केदारनाथ उपचुनाव के लिए ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। बदरीनाथ उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ उठी हवाओं को वह केदारनाथ तक बहाना चाहती है। हवा बनाने के लिए उसने राहुल गांधी की पैदल यात्रा को जरिया बनाया है।
हरिद्वार से शुरू की गई केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा दरअसल उसकी इसी चुनावी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेसी पैदल यात्रा कर चार अगस्त को केदारनाथ पहुंचेंगे। इस बीच जहां-जहां यात्रा गुजरेगी, वहां-वहां सभाएं होंगी। कांग्रेस के मंसूबों को भाजपा भांप चुकी है। मुख्यमंत्री का केदारनाथ जाकर पूजा-पाठ करना, एक दिन पहले तीर्थ पुरोहितों के साथ उनकी वार्ता और धाम से लौट कर उनका कांग्रेस पर हमला बोलना सियासी रणनीति का हिस्सा है। आने वाले दिनों में केदारनाथ पर सियासी संग्राम और तेज होने के पूरे आसार हैं।