Cyber Crime साइबर ठगों ने उत्तराखंड के युवाओं को साइबर अपराध के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। नौकरी का झांसा देकर युवाओं का कंबोडिया का वीजा बनवाया जा रहा है जहां से उन्हें अवैध तरीके से म्यांमार ले जाया जा रहा है। वहां उन्हें बंधक बनाकर साइबर ठगी की जा रही है। इन युवाओं को स्वदेश लाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने एंबेसी से संपर्क किया है।
HighLights
- रायवाला, खटीमा, बनबसा व चंपावत के युवकों को कंबोडिया के रास्ते म्यांमार भेजे जाने की सूचना
- एसटीएफ के राडार पर प्रदेश की कुछ प्लेसमेंट एजसियां, इन्हीं के माध्यम से भेजे जा चुके हैं युवक
सोबन सिंह गुसांई, जागरण देहरादून। Cyber Crime: विदेश में बैठे साइबर ठगों ने उत्तराखंड के युवाओं को साइबर अपराध के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रदेश से बड़ी संख्या में युवाओं की तस्करी की जा रही है।
नौकरी का झांसा देकर युवाओं का कंबोडिया का वीजा बनवाया जा रहा है, जहां से उन्हें अवैध तरीके से म्यांमार ले जाया जा रहा है। वहां उन्हें बंधक बनाकर साइबर ठगी की जा रही है। उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के पास ऐसे सात मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा कई युवाओं के म्यांमार में होने की संभावना है। इन युवाओं को स्वदेश लाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने एंबेसी से संपर्क किया है।
साइबर ठग अपने एजेंटों के माध्यम से युवाओं को म्यांमार बुला रहे हैं। जहां डरा-धमकाकर उनसे साइबर ठगी करवाई जा रही है। ये युवा म्यांमार में बैठकर उत्तराखंड के लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं। जांच में कुछ प्लेसमेंट एजेंसियों की भूमिका सामने आई है, जिनकी पड़ताल कराई जा रही है।
तीन जिलों में दर्ज हो चुके हैं मुकदमे
उत्तराखंड से युवाओं को नौकरी के नाम पर विदेश भेजने और वहां पर बंधक बनाकर रखने के मामले में अब तक तीन मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इनमें सबसे पहला मुकदमा देहरादून के रायवाला थाने में दर्ज हुआ। यहां के एक युवक ने अपने स्वजन को चोरी-छिपे फोन करके फंसे होने की सूचना दी। दूसरा मामला खटीमा व तीसरा मुकदमा चंपावत में दर्ज हुआ है। मामला विदेश से जुड़ा होने के चलते प्रकरण की जांच एसटीएफ को सौंपी गई है।
इन्हीं युवाओं के दस्तावेजों से खोले जा रहे बैंक खाते
एसटीएफ की जांच में सामने आया है कि विदेश में बैठे साइबर ठग इन्हीं युवाओं के दस्तावेजों के आधार पर बैंक खाते खुलवाते हैं, जिनमें ठगी की रकम मगवाई जाती है। मोबाइल नंबर भी इन्हीं के दस्तावेजों पर लिए जाते हैं। नंबर भारत का होने के चलते लोग जल्द ही उन पर विश्वास कर लेते हैं, और ठगी के शिकार हो जाते हैं।
एआइ से आवाज बदलकर चिकित्सक से ठगे साढ़े 12 लाख रुपये
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की मदद से साइबर ठगों ने देहरादून के मैक्स अस्पताल की एक महिला चिकित्सक को बेटे की गिरफ्तारी का खौफ दिखाकर साढ़े 12 लाख रुपये ठग लिए। मामले में चिकित्सक ने अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया है।
डालनवाला कोतवाली में दी गई शिकायत में मैक्स अस्पताल की चिकित्सक डा. दीपा निवासी डालनवाला ने कहा कि 25 जुलाई को अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर खुद को थानाध्यक्ष बताया और कहा कि उनका बेटा दुष्कर्म के एक मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले में बेटे के तीन और साथियों को भी गिरफ्तार किया गया है। बेटा देहरादून के प्रेमनगर क्षेत्र स्थित यूपीईएस विवि में प्रोफेसर है।
फोन करने वाले ने कहा कि बेटे को जेल जाने से बचाना है तो इसके लिए रुपये देने पड़ेंगे। इस दौरान बेटे की रोते हुए आवाज भी सुनाई और जल्द से जल्द रुपये भेजने को कहा। चिकित्सक ने बताया कि खौफ में आकर आरोपित के खाते में 90 हजार रुपये आनलाइन ट्रांसफर कर और साढ़े 11 लाख रुपये बैंक जाकर आरटीजीएस के माध्यम से भेजे।
दिन भर चले घटनाक्रम के बाद शाम को बेटे को फोन किया तो पता चला कि वह विश्वविद्यालय में है और सकुशल है। बेटे ने ऐसी किसी भी घटना से इन्कार किया। इसके बाद चिकित्सक को ठगी का पता चला और पुलिस को ठगों के विरुद्ध तहरीर दी। डालनवाला कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक मनोज नैनवाल ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है।
आरोपितों ने चिकित्सक के बेटे की आवाज को एआइ की मदद से सुनाया था। तीन से पांच सेकेंड की आवाज से वायस क्लोनिंग सीओ साइबर अंकुश मिश्रा ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से किसी की भी आवाज की नकल करने के लिए सिर्फ तीन से पांच सेकंड का वीडियो चाहिए।
साइबर अपराधी फेसबुक, इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर सर्च कर किसी भी आवाज का सैंपल ले लेते हैं। इसके बाद वायस क्लोन कर उनके परिचित, रिश्तेदारों को फोन किया जाता है। आवाज की क्लोनिंग ऐसी होती है कि पति-पत्नी, पिता पुत्र तक आवाज नहीं पहचान पा रहे हैं।
ठगी से बचाव के लिए करें यह उपाय
- अलग-अलग अकाउंट का अलग-अलग पासवर्ड रखें, एक-जैसे पासवर्ड बनाने से बचें।
- यदि दोस्त या सगे-संबंधी की आवाज में रुपये के लिए फोन आए तो एक बार खुद फोन करके कंफर्म कर लें।
- साइबर ठगी के शिकार होने पर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।
सगे संबंधी का फोन आए तो एकदम न घबराएं
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि हाल के दिनों में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं। दोस्त या रिश्तेदार बनकर मदद व इमरजेंसी के नाम पर लाखों की ठगी कर रहे हैं।
अगर आपके पास दोस्त, रिश्तेदार की आवाज में किसी नंबर से फोन आए तो एकदम घबराएं नहीं बल्कि सतर्कता के साथ कदम उठाएं। संबंधित के पास पहले फोन कर जानकारी लें, उसके बाद मदद की सोचें। यदि अज्ञात फोन काल पर आवाज सुनकर ही रुपये दे दिए तो ठगी का शिकार हो सकते हैं।