यूपीसीएल ने अप्रैल में लागू हुई विद्युत दरों पर पुनर्विचार करते हुए 919 करोड़ 71 लाख रुपये की वसूली को आधार बनाते हुए बिजली दरों में 8.54 प्रतिशत (63 पैसे प्रति यूनिट) बढ़ोतरी की याचिका दायर की थी।
उत्तराखंड में बिजली महंगी नहीं होगी। यूपीसीएल की बिजली दरों में बढ़ोतरी की पुनर्विचार याचिका उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दी है। इस याचिका पर आयोग ने प्रदेशभर से सुझाव लेने के साथ ही 12 अगस्त को जनसुनवाई भी की थी। यूपीसीएल ने अप्रैल में लागू हुई विद्युत दरों पर पुनर्विचार करते हुए 919 करोड़ 71 लाख रुपये की वसूली को आधार बनाते हुए बिजली दरों में 8.54 प्रतिशत (63 पैसे प्रति यूनिट) बढ़ोतरी की याचिका दायर की थी।
आयोग ने इसकी स्वीकार्यता पर सीधे कोई निर्णय लेने के बजाए उपभोक्ताओं, हितधारकों से सुझाव मांगे थे। आठ अगस्त तक प्रदेशभर से तमाम लोगों ने इस बढ़ोतरी का विरोध जताया। वहीं, 12 अगस्त को जनसुनवाई के दौरान भी उपभोक्ताओं ने कहा था कि उन्हें हर हाल में महंगी बिजली से आजादी की जरूरत है।
आयोग के अध्यक्ष एमएल प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा की पीठ ने याचिका की स्वीकार्यता पर सुनवाई करने के बाद पाया कि यूपीसीएल की याचिका पुनर्विचार लायक नहीं है। इसमें कोई भी आधार नहीं पाया गया। लिहाजा, आयोग ने इसे खारिज कर दिया है। फिलहाल बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी।
अब यूपीसीएल के पास इस निर्णय के खिलाफ अपीलीय प्राधिकरण विद्युत दिल्ली जाने का विकल्प खुला है। हालांकि, यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि आयोग के निर्णय का अध्ययन करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। ये देखा जाएगा कि आयोग ने किस आधार पर याचिका खारिज की है।