महिला किसान ने मशरूम की खेती से शुरू किया रोजगार, कमा रहीं लाखों

उत्तराखंड देहरादून

डोईवाला। अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो मंजिल अपने आप ही मिल जाती है। देहरादून की एक महिला किसान अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं। इस महिला किसान ने मशरूम की खेती को स्वरोजगार जरिया बनाया।इतना हीं इस स्वरोजगार से मुनाफा भी कमा रही है।

जी हां,  देहरादून जिला के नकरौंदा गांव स्थित जीरो प्वाइंट क्षेत्र निवासी गीता उपाध्याय गांव में अजय स्वावलंबन केंद्र का संचालन करती हैं। यहां यह सब्जी उत्पादन, पशुपालन और मत्स्यपालन करती हैं। इसके साथ ही मशरूम उत्पादन भी करती हैं। इसमें उनका साथ उनके पति दीपक उपाध्याय देते हैं।

मशरूम से डेढ़ से दो लाख रुपये की होती है आय

महिला किसान गीता उपाध्याय बताती हैं कि आप नब्बे दिनों में लागत का दोगुना हासिल कर सकते हैं। मशरूम उत्पादन में सभी खर्चे जोड़कर 60 की लागत आती है। 90 दिनों में 500 बैग्स से 10 क्विंटल मशरूम का उत्पादन तक हो जाता है। यह बाजार में 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिकती है।

मशरूम उत्पादन के लिए बनाए दो कमरे

गीता उपाध्याय बताती हैं कि मशरूम उत्पादन के लिए दो कमरे बनाए हुए हैं। इन कमरों में तापमान स्थिर रखा जाता है। क्योंकि मशरूम उत्पादन में सही तापमान की जरूरत होती है। इससे उत्पादन पर असर पड़ जाता है। इसके लिए 25 डिग्री सेल्सियस की जरूरत होती है। सर्दियों में इसमें ब्लोअर का प्रयोग किया जाता है।

वजन कम करने के साथ शुगर कंट्रोल करता है मशरूम

मशरूम कम कैलोरी वाली सब्जी है। यह पोषक तत्वों से भरपूर है। यह वजन को कंट्रोल में रखती है। मशरूम में प्रचूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, डी पाया जाता है। इसमें एंटी आक्सीडेंट , एंटीकैंसर, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंटीमाइक्रोबियल, हेपेटोप्रोटेक्टिव , एंटीडायबिटिक और एंटी वायरल गुण मिलते हैं। इसलिए यह डायबिटीज, कोलेस्ट्राल, ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करता है।

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