देहरादून। फर्जी जीएसटी बिलों के जरिए हजारों ट्रक खनन सामग्री की सप्लाई कर दी गई। जिस ट्रेडर्स के जीएसटी का उपयोग हुआ, उसकी बैलेंस शीट में भुगतान दिखाई दिए तो वह हैरान रह गया। दस्तावेज निकलवाए तो पता लगा कि फर्जीवाड़े से उनकी फर्म का जीएसटी दिखाकर वन चेक पोस्ट पर टैक्स दिया। चौहान ट्रेडर्स जाखन के संचालक आकाश चौहान निवासी दून विहार जाखान ने राजपुर थाने में तहरीर दी है। बताया कि वर्ष 2019-20 का फर्म का ऑडिट करा रहे थे। इस दौरान सीए ने बताया कि सात लाख वन चेक पोस्ट पर खनन जीएसटी का भुगतान हुआ।
इसके बिल उन्होंने नहीं लगाए। यह भुगतान उनके जीएसटी एकाउंट में दिखाई दे रहा था, जो खनन सामाग्री सप्लाई का था। वह हैरान हो गए। कुल्हाल चेक पोस्ट विकासनगर से खनन ट्रक पास करने के भुगतान की जानकारी निकलवाई तो पता लगा कि यह भुगतान उनके जीएसटी नंबर लिखे बिलों पर किया गया। ट्रक नंबरों की पड़ताल की तो पता लगा कि 2800 से ज्यादा ट्रक तीन महीने में उनकी फर्म के पंजीकरण पर निकले, जो उनके नहीं है। जबकि उन्होंने गिनती के ट्रक ही मंगवाए थे। ट्रकों नंबर चेकपोस्ट से मिलाने किए तो पता लगा कि अवैध खनन सामग्री सप्लाई करने वालों ने यह बिल लगाए हैं।
इस पर उनका जीएसटी नंबर डाला, जिसपर चेकपोस्ट पर ट्रक पास कराने का भुगतान किया गया। यह प्रति ट्रक 150 से 250 रुपये जाता है। जबकि, यह वैध खनन होता हो इसकी खरीदारी का लाखों रुपये जीएसटी सरकार को मिलता। राजपुर थानाध्यक्ष राकेश शाह ने बताया कि आकाश की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।
हर रोज गुजरे 25 से 40 ट्रक
आकाश चौहान ने बताया कि वन चेकपोस्ट से जो जानकारी मिली, उसके तहत बीते साल तीन महीने की अवधि में हर रोज 25 से 40 ट्रक उनकी फर्म के जीएसटी नंबर से गुजरे। जबकि, उनके पास केवल चार ट्रक हैं। इनमें कोई उक्त फर्जी बिलों से जुड़े नंबर का ट्रक नहीं हैं। वहीं अवैध खनन सामग्री की फर्जी बिल से जो जीएसटी चेकपोस्ट पर गई, उसकी खरीदारी का हिसाब कई स्टोन क्रशर पर भी पता करने पर नहीं मिला। इससे साफ है कि फर्जी खनन कर सरकार को लाखों रुपये का चूना खनन माफिया ने लगाया गया। जिन ट्रकों से अवैध खनन सामग्री गई वह कई मालिकों के बताए जा रहे हैं। उनमें कुछ से पीड़ति ने संपर्क किया। हालांकि, उन्होंने ठीक से जवाब नहीं दिया।