नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन के लिए बनेगा एक्ट, केंद्र सरकार ने दी अनुमति

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून: प्रदेश सरकार नशा मुक्ति केंद्रों को अब नियमों के दायरे में बांधने की तैयारी कर रही है। इस कड़ी में प्रदेश में जल्द ही मेंटल हेल्थ केयर एक्ट लागू किया जाएगा। केंद्र से अनुमति मिलने के बाद प्रदेश सरकार इसके प्रारूप को अंतिम रूप देने में जुटी हुई है। इसे जल्द ही कैबिनेट में रखने की तैयारी है।

इस एक्ट के तहत मानसिक स्वास्थ्य केंद्र व संस्थानों को राज्य मेंटल हेल्थ केयर अथारिटी में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। एक्ट का उल्लंघन करने वालों पर 50 हजार से लेकर दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। प्रदेश में अभी नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन को लेकर कोई निश्चित मानक नहीं बने हैं।

जिलाधिकारी अपने-अपने स्तर से इनके संचालन को गाइडलाइन जारी करते हैं। यद्यपि, इस प्रकार की गाइडलाइन को नशा मुक्ति संचालक हाईकोर्ट में चुनौती दे देते हैं। उनका तर्क यह रहता है कि इस तरह की गाइडलाइन उन पर सीधे लागू नहीं होती।

दरअसल, प्रदेश में नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन को लेकर सवाल उठते रहे हैं। सही प्रकार के भवन न होने, चिकित्सकों की तैनाती और प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ की कमी के कारण भी मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों की कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हैं। यहां मरीजों का सही प्रकार से इलाज न करने और उनको प्रताडि़त करने की बातें भी सामने आई हैं।

यहां तक कि कई बार मरीजों के मौत की बात भी सामने आई है। इसे देखते हुए प्रदेश में मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों के संचालन को एक्ट के दायरे में लाने की बात चल रही है। इस कड़ी में प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र भेजकर प्रदेश में अपना मेंटल हेल्थ केयर एक्ट लाने के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया था। इसे केंद्र सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है।

इस क्रम में अब प्रदेश सरकार मेंटल हेल्थ केयर एक्ट बना सकेगी। सचिव स्वास्थ्य डा आर राजेश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार ने इसके लिए अनुमति प्रदान कर दी है। अब नशा मुक्ति केंद्रों को एक्ट के दायरे में लाया जा सकेगा। इसमें नशा मुक्ति केंद्र व मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ ही चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ का पंजीकरण भी अनिवार्य होगा।