केदारघाटी में हुए इस हादसे ने दस साल पहले वर्ष 2013 में आई केदारनाथ आपदा की यादों को ताजा कर दिया है। जबकि बीते चार दशक में ऊखीमठ ब्लॉक क्षेत्र में यह तीसरी बड़ी आपदा है। इसके बाद भी आज तक केदारघाटी से लेकर केदारनाथ पैदल मार्ग पर सुरक्षा के नाम पर ठोस इंतजाम तो दूर, कार्ययोजना तक नहीं बन पाई है।
सरकार सिर्फ केदारनाथ में पुनर्निर्माण कार्यों तक ही सिमटी रही। वर्ष 1976 से रुद्रप्रयाग व केदारघाटी के गांव प्राकृतिक आपदाओं का दंश झेलते आ रहे हैं। यहां आज भी कई गांव मौत के मुहाने पर खड़े हैं। बीते चार दशक में यहां 14 प्राकृतिक आपदाएं आ चुकी हैं जिसमें से 16-17 जून 2013 की केदारनाथ की आपदा सबसे विकराल रही।
आपदाओं की दृष्टि से पांचवें जोन में रुद्रप्रयाग
2013 की आपदा ने केदारघाटी से लेकर केदारनाथ का भूगोल बदल दिया था। गौरीकुंड से रुद्रप्रयाग के बीच मुनकटिया, रामपुर, खाट, सेमी, भैंसारी, रामपुर, बांसवाड़ा, विजयनगर कई क्षेत्र हादसों का सबब बने हुए हैं लेकिन सरकारें, प्राकृतिक आपदा कम हो इसके प्रयास कम करने की योजना बनाने के बजाय केदारनाथ पुनर्निर्माण में ही घिरकर रह गई। केदारनाथ पैदल मार्ग पर यहां न तो भूस्खलन जोन का ट्रीटमेंट हो पाया न ही पैदल रास्ते का विकल्प ढूंढा गया। जबकि रुद्रप्रयाग जिला भूकंप व अन्य प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से पांचवें जोन में है।
![दर्द, चीखें और मदद की पुकार: केदारनाथ आपदा की याद दिला गया गौरीकुंड हादसा, मौत के मुहाने पर खड़े आज भी कई गांव Gaurikund Landslide reminded of Kedarnath disaster Uttarakhand news in hindi](http://staticimg.amarujala.com/assets/images/2021/02/07/750x506/kedarnath-disaster_1612689751.jpeg)
रुद्रप्रयाग जनपद में प्राकृतिक आपदाएं
वर्ष हादसा
1976 भूस्खलन से ऊपरी क्षेत्रों में मंदाकिनी का प्रवाह अवरुद्ध।
1979 क्यूंजा गाड़ में बाढ़ से कोंथा, चंद्रनगर और अजयपुर क्षेत्र में तबाही। 29 लोग मरे।
1986 जखोली तहसील के सिरवाड़ी में भूस्खलन, 32 मरे।
1998 भूस्खलन से भेंटी और पौंडार गांव ध्वस्त। साथ ही 34 गांवों में पहुंचा नुकसान, 103 लोगों की हुई थी मौत।
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2001 ऊखीमठ के फाटा में बादल फटा, 28 की मौत।
2002 बड़ासू और रैल गांव में भूस्खलन।
2003 स्वारीग्वांस मेंं भूस्खलन।
2004 घंघासू बांगर में भूस्खलन।
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2005 बादल फटने से विजयनगर में तबाही, चार की मौत।
2006 डांडाखाल क्षेत्र में बादल फटा।
2008 चौमासी-चिलौंड गांव में भूस्खलन। एक युवक मरा और कई मवेशी मलबे मेंं दबे।
2009 गौरीकुंड घोड़ा पड़ाव मेंं भूस्खलन, दो श्रमिक मरे।
2010 जनपद में कई स्थानों पर बादल फटे, एक युवक बहा
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2012 ऊखीमठ के कई गांवों में बादल फटा, 64 लोग मरे।
2013 केदारनाथ आपदा में हजारों मरे, पूरी केदारघाटी प्रभावित।
2023 गौरीकुंड में भूस्खलन 19 लोग लापता।