रोजाना बोलचाल की भाषा में हम कुछ ऐसे शब्द बोलते हैं जो हिंदी के नहीं यह दूसरी जगह से आए हैं। इनमें से कुछ पुर्तगाली शब्द, कुछ अरबी, कुछ तुर्की हैं। यह हमारी हिंदी में मिले तो अपने जैसे हो गए।
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अचार, कैंची, चम्मच और न जाने कितने शब्द जो हम रोजमर्रा के जीवन में बोलते हैं। इनके अंग्रेजी शब्दों के जब हिंदी अर्थ तलाशते हैं तो कई शब्दकोष भी इन्हीं शब्दों को हिंदी बता देते हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये शब्द हमारी मातृभाषा हिंदी के है ही नहीं, बल्कि हमसे हजारों मील दूर बोले जाने वाली भाषाओं के हैं। ये तो अपनी हिंदी का मातृत्व है कि ये अब अपने से हो गए हैं।
स्कूल-कॉलेज, टीचर, ट्रेनिंग आदि शब्दों का इस्तेमाल हिंदी भाषा में बखूबी किया जाता है, लेकिन यह शब्द भी हिंदी के नहीं हैं। हिंदी भाषा में इसी तरह के विदेशी शब्दों की भरमार हो गई है। इसी तरह हिंदी के कठिन शब्दों के बीच दूसरी भाषा के अन्य शब्दों ने जगह ले ली है।
हिंदी में मिले तो अपने जैसे हो गए
वरिष्ठ साहित्यकार एपी मिश्रा ने बताया कि रोजाना बोलचाल की भाषा में हम कुछ ऐसे शब्द बोलते हैं जो हिंदी के नहीं यह दूसरी जगह से आए हैं। इसमें चाबी, संतरा, बाल्टी, कैंची, अचार, औरत आदि शब्द का बखूबी इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह शब्द हमारी हिंदी के नहीं हैं। इनमें से कुछ पुर्तगाली शब्द, कुछ अरबी, कुछ तुर्की हैं।
हमारी हिंदी में मिले तो अपने जैसे हो गए। साहित्यकार जगदीश कहते हैं कि हिंदी हमेशा से एक सरल भाषा के रूप में जानी जाती रही। समय-समय पर इस भाषा में कई शब्द शामिल होते रहे हैं। इस समय अंग्रेजी शब्द हमारी जुबान पर हिंदी से भी ज्यादा रहते हैं।