हिंदी दिवस: अपने देश में पराई हिंदी, लेकिन विदेशियों में बढ़ रहा रुझान, लाखों डॉलर खर्च कर यहां आते हैं सीखने

उत्तराखंड

सार

बच्चे आम बोलचाल में अंग्रेजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हिंदी स्कूलों में छात्र संख्या लगातार कम हो रही है। लेकिन विदेशी हिंदी सीखने के लिए लाखों डॉलर खर्च कर रहे हैं।

विस्तार

अपने ही देश में अंग्रेजी भले ही स्टेटस सिंबल बन रही हो, लेकिन सात समुंदर पार के लोग हिंदी के प्रति रूझान बढ़ रहा है। दुनियाभर के लोगों में हिंदी की दीवानगी बढ़ रही है और हिंदी सीखने के लिए भारत आ रहे हैं। कई विदेशी ऑनलाइन तो कई ट्यूशन लेकर हिंदी भाषा सीख रहे हैं।

हिंदी भाषा अपने ही देश में लोगों को पराई सी लगने लगी है। अभिभावक बच्चों को अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। बच्चे आम बोलचाल में अंग्रेजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हिंदी स्कूलों में छात्र संख्या लगातार कम हो रही है। लेकिन विदेशी हिंदी सीखने के लिए लाखों डॉलर खर्च कर रहे हैं।

मसूरी के लंढौर लैंग्वेज स्कूल में फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, अमेरिका, इंग्लैंड, इटली और कोरिया के लगभग दो दर्जन से अधिक लोग ऑनलाइन हिंदी भाषा सीख रहे हैं। जर्मनी की हैला और अमेरिका की जेनेफर यहां आकर हिंदी भाषा सीख रही हैं।

जर्मनी की हैला ने बताया कि उनको हिंदी भाषा अच्छी लगती है। कहा लंढौर लैंग्वेज स्कूल में हिंदी भाषा को सीखा। हिंदी को समझने का प्रयास किया। अब वह हिंदी सीख गई हैं।अमेरिका की जेनेफर ने बताया, उसे हिंदी बोलने और लिखने का शौक था। वह लैंग्वेज स्कूल में हिंदी भाषा सीख रही हैं।

 

हिंदी सिखाने में दे रहे योगदान

बताया कि अमेरिका में भारत के बहुत लोग रहते हैं, जो हिंदी में बात करते हैं। कहा कि भारत को अगर जानना और समझना है तो हिंदी को सीखना जरूरी है। लैंग्वेज स्कूल के शिक्षक जसविंदर गर्ग, ललित शर्मा, गिरीश जोशी, अर्चना शर्मा, हबीब, अलका, भावना विदेशियों को हिंदी सिखाने में योगदान दे रहे हैं।

प्रधानाचार्य चितरंजन दत्त ने बताया कोरोनाकाल के बाद अधिकांश विदेशी हिंदी भाषा सीखने के लिए ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं। कोरोनाकाल के बाद स्थितियां बदली, लेकिन विदेशियों में हिंदी सीखने की ललक कम नहीं हुई। पिछले तीस साल से विदेशियों को हिंदी और पंजाबी सीखा रही शिक्षिका जसविंदर गर्ग ने बताया, ऑनलाइन हिंदी सीखने वाले विदेशियों में काफी उत्सुकता दिखती है।

अधिक रुचि होने के कारण जल्दी हिंदी सीख लेते हैं। बताया कि जर्मनी की हैला और अमेरिका की जेनेफर हिंदी सीखने के लिए आई हैं। हिंदी सीखने के बाद वापस जा रही हैं। शिक्षक गिरीश चंद्र जोशी ने बताया, इस समय यूरोपीय देशों के 20 से अधिक छात्र ऑनलाइन हिंदी सीख रहे हैं।