Sunday, December 15, 2024

खूबसूरत नजारों व रोमांच से भरा है तीर्थनगरी के पास का यह ट्रैक, देश-विदेश के पर्यटकों को कर रहा आकर्षित; जानें रूट

उत्तराखंड देहरादून

तीर्थनगरी ऋषिकेश यूं तो आज पूरे विश्व में योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के नाम से पहचान रखती है। मगर ऋषिकेश व आसपास क्षेत्र में कई ऐसे पर्यटन स्थल और रोमांचक गतिविधियां भी हैं जो देश और दुनिया के पर्यटकों को बरबस ही आकर्षित करते हैं। यहां कई ऐसे ट्रैकिंग रूट भी हैं जिन्हें पर्यटक बेहद पसंद करते हैं। इनमें एक ट्रेकिंग रूट चारधाम यात्रा का प्राचीन पैदल मार्ग है।

 ऋषिकेश। तीर्थनगरी ऋषिकेश यूं तो आज पूरे विश्व में योग की अंतरराष्ट्रीय राजधानी के नाम से पहचान रखती है। मगर, ऋषिकेश व आसपास क्षेत्र में कई ऐसे पर्यटन स्थल और रोमांचक गतिविधियां भी हैं, जो देश और दुनिया के पर्यटकों को बरबस ही आकर्षित करते हैं।

यहां कई ऐसे ट्रैकिंग रूट भी हैं, जिन्हें पर्यटक बेहद पसंद करते हैं। इनमें एक ट्रैकिंग रूट चारधाम यात्रा का प्राचीन पैदल मार्ग है। यह ट्रैक भले ही कई वर्षों तक समय की गर्त में रहा, मगर अब जिला प्रशासन के प्रयासों से इस ट्रैकिंग रूट को नई पहचान मिली है, जो अब पर्यटकों को खासा आकर्षित कर रहा है।

यहां कोटली भेल में उत्तरकाशी की गंगोत्री घाटी में स्थिति गर्तांग गली की तर्ज पर विकसित किया गया ट्रैक पर्यटकों को खूब भा रहा है।

पहाड़ी के नीचे गंगा का अथाह बहाव

यहां हम बात कर रहे हैं बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा के प्राचीन पैदल मार्ग की, जो पौड़ी जनपद में कई पौराणिक चट्टियों को छूते हुए ऋषिकेश से देवप्रयाग की ओर आगे बढ़ता है। इस मार्ग पर महादेव चट्टी से आगे का मार्ग बेहद दुर्गम था, जो एक ऐसी पहाड़ी से होकर गुजरता है, जिसके नीचे गंगा का अथाह बहाव है।

बताया जाता है कि कालांतर में इस मार्ग को चट्टानों को बेदह छोटे उपकरण (कुदाल और खुरपी) से काटकर तैयार किया गया था। स्थानीय बोली में कुदाल को कुटली और इस तरह की चट्टान को भेल कहा जाता है, लिहाजा इसका नाम कोटली भेल प्रचलित हुआ। हालांकि ब्रिटिश शासनकाल में इस मार्ग को और चाैड़ा और सुरक्षित बनाया गया था।

शानदार ट्रैकिंग रूट के रूप में किया गया है विकसित

गंगा के किनारे-किनारे देवप्रयाग तक जुड़ने वाले इस मार्ग का यह हिस्सा बेहद रोमांचक और प्रकृति के शानदार नजारों से भरा है। यहां एक सुदंर प्राकृतिक झरना भी स्थित है, जो पर्यटकों को बरबस की आकर्षित करता है।

ऋषिकेश से बदरीनाथ-केदारनाथ की यात्रा के लिए सड़क मार्ग का विकल्प उपलब्ध होने के बाद यह पैदल मार्ग पूरी तरह से नैपथ्य में चला गया था। केवल स्थानीय ग्रामीण ही इस मार्ग का उपयोग करते आ रहे थे। फिर भी इस मार्ग को कभी विकसित करने की जहमत नहीं उठाई गई।

विगत वर्ष जिलाधिकारी पौड़ी डॉ. आशीष चौहान के प्रयासों से इस मार्ग को शानदार ट्रैकिंग रूट के रूप में विकसित किया गया। यहां कोटली भेल से होकर गुजरने वाले मार्ग को उत्तरकाशी जिले के प्राचीन भारत-तिब्बत व्यापार के प्रत्यक्ष प्रमाण गरतांग गली के तर्ज पर विकसित किया गया। यहां इमारती लकड़ियों की सुंदर नक्कासी के साथ इस मार्ग को सुरक्षित और भव्य बनाया गया। तब यह ट्रैकिंग रूट पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है।

ट्रैकिंग के शौकीनों को भा रहा कोटली भेल ट्रैक

कोटली भेल ट्रेक लगातार पर्यटकों और ट्रैकिंग का शौक रखने वालों की पसंद बनाता जा रहा है। विगत कुछ माह से बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक और सैलानी इस ट्रैक पर ट्रैकिंग कर चुके हैं। कुद दिनों पूर्व ऋषिकेश के साइकिल क्लब के सदस्य भी इस ट्रैक पर घूमकर आए।

ऋषिकेश में ट्रैकिंग के शौकीन विनोद कोठियाल, विजय रावत, राजेश नौटियाल, सुशील सेमवाल, अजय जुयाल, अमित चटर्जी आदि ने बताया कि कोटली भेल ट्रैक एक सुंदर और रोमांचक ट्रैकिंग रूट है। पौड़ी जिला प्रशासन के प्रयसों से यह ट्रैक बेहतर ढंग से विकसित किया गया है।

 

उन्होंने प्रशासन, पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों से इस ट्रैक के रख रखाव का ध्यान रखने की अपील की। कहा कि सरकार को इस तरह के छोटे ट्रैकिंग रूट विकसित और इनका प्रचार प्रसार करना चाहिए, ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को योग, अध्यात्म्, राफ्टिंग और पर्यटन के अलावा भी यहां निवेश करने और सयम बिताने के विकल्प मिल सकें।

इस तरह पहुंचे कोटली भेल

ट्रेकिंग के शौक रखने वालों के लिए कोटली भेल पहुंचने के लिए दो विकल्प हैं। यदि आप ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला से ही पौराणिक यात्रा मार्ग पर जाना चाहें तो आप गरुड़ चट्टी, फूल चट्टी, मोहन चट्टी, कुंड, नोठखाल, बंदर चट्टी, बंदर भ्येल, ढांगू गढ़, बलोगी, महादेव चट्टी होते हुए पैदल ही करीब 35 किमी की ट्रैकिंग कर कोटली भेल पहुंच सकते हैं।

अगर आप छोटी ट्रैकिंग करना चाहें तो आप ऋषिकेश-बदरीनाथ मार्ग पर ऋषिकेश से 35 किमी दूर कौड़ियाला से कुछ आगे तक सड़क मार्ग से जाकर महादेव चट्टी पुल पर उतर सकते हैं। यहां से करीब चार किमी की पैदल ट्रैकिंग करते हुए आप कोटली भेल पहुंच जाएंगे। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, कलकल बहती गंगा का स्वर और रोमांचक ट्रैक आपका मन माह लेगा।