जिलिंग स्टेट मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें भीमताल में जिलिंग स्टेट में हो रहे निर्माण कार्यों पर लगी रोक को हटा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर तीन माह के अंदर करने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की खंडपीठ ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के 23 नवंबर 2022 के अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए कहा कि जिलिंग स्टेट में निर्माण की अनुमति देने से मामले की अंतिम सुनवाई होने पर क्षेत्र की स्थिति बदल सकती है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इस मामले में पर्यावरणीय मुद्दे भी शामिल हैं। इसलिए विवादित आदेश को रद्द किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह योग्यता के आधार पर यथासंभव तीन महीने के भीतर निर्णय लेकर याचिका को निस्तारित करे।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को याचिकाकर्ता वीरेंद्र सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। वीरेंद्र सिंह ने कहा कि 1980 के दशक में जिलिंग स्टेट को संपत्ति बेची गई थी और वह इसकी आड़ में आसपास के इलाकों में व्यावसायिक गतिविधियां चला रहा है। याचिकाकर्ता ने पहले एनजीटी और फिर सुप्रीम कोर्ट से इसकी अपील की थी। शिकायत में कहा गया था कि जिलिंग स्टेट के द्वारा वहां करीब 44 विला, हेलीपैड और रिजॉर्ट, कॉटेज सहित अन्य का निर्माण किया जा रहा है।