2024 के लोकसभा चुनाव में 75 प्रतिशत मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने का लक्ष्य बेहद चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। देश के 36 राज्यों व केंद्रशासित राज्यों में उत्तराखंड रैंकिंग मतदान प्रतिशत के मामले में 31वें स्थान पर है।
उत्तराखंड के मतदाताओं में अपने मताधिकार के प्रति उतनी रुचि नहीं है, जितनी दूसरे कई अन्य राज्यों में दिखाई देती है। इसका अंदाजा इस तथ्य से लग जाता है कि राज्य बनने के बाद अब तक हुए चार लोकसभा चुनावों में हर चुनाव में औसतन 28 लाख मतदाता मतदान करने से कन्नी काट जाते हैं।
चुनाव-दर-चुनाव बढ़ रहे मतदान प्रतिशत पर चाहे हम कितना इतराएं, लेकिन सच्चाई यही है कि देश के 36 राज्यों व केंद्रशासित राज्यों में हमारी रैंकिंग मतदान प्रतिशत के मामले में 31वें स्थान पर है। यूपी (59.21%), बिहार (57.33%) महाराष्ट्र (61.02%), नई दिल्ली (60.6%) उत्तराखंड से पीछे हैं। समान भौगोलिक परिस्थितियों वाले पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्व के कई हिमालयी राज्य मतदान प्रतिशत के मामले में हमसे काफी आगे हैं।
लेकिन, उत्तराखंड अभी मतदान की राष्ट्रीय दर को भी नहीं छू पाया है। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में 75 प्रतिशत मतदाताओं को मतदान केंद्रों तक लाने का लक्ष्य बेहद चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है। चुनाव आयोग ने इसके लिए पूरी ताकत झोंक रखी है, लेकिन जानकारों का मानना है कि केवल आयोग की कोशिशें से मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए काफी नहीं होंगी। इसके लिए उन कारणों की भी पड़ताल होनी जरूरी है, जो प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से कम मतदान की वजह बनते हैं।