श्री कृष्ण जन्माष्टमी : वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है अल्‍मोड़ा का मुरली मनोहर मंदिर, 1880 में हुई थी स्थापना

अल्मोड़ा उत्तराखंड

अल्मोड़ा : जिला मुख्यालय स्थित योगेश्वर मुरली मनोहर मंदिर वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान सन 1880 में निर्मित यह मंदिर श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र है। देश-विदेश से जब भी पर्यटक ऐतिहासिक नगरी में कदम रखते हैं, वह इस मंदिर के दर्शन-पूजन जरूर करते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

इस मंदिर का निर्माण नगर के तत्कालीन समाजसेवी कुंदन लाल साह के निधन के बाद उनकी पत्नियों गंगा साह व गोमती साह ने पंचों व अपने रिश्तेदारों की मदद से सन् 1880 में थाना बाजार के समीप ठाकुरद्वारे का निर्माण कराया। इसमें राधा, कृष्ण, लक्ष्मीनारायण तथा अन्य मूर्तियां जोधपुरी संगमरमर की मंगवाकर मंदिर में इनकी प्राण-प्रतिष्ठा करवाकर स्थापित कर दिया। मंदिर में कृष्ण भगवान की मूर्ति होने की वजह से ठाकुरद्वारे का नाम मुरली मनोहर मंदिर रखा गया।

मंदिर में स्थापित सभी मूर्तियां 19वीं सदी की हैं। इसके अलावा मंदिर के आगे प्रांगण में गणेश भगवान व हनुमान की दो मूर्तियां 1994 में वर्तमान न्यासियों द्वारा स्थापित की गईं। देश-विदेश के पर्यटक जब पर्यटन सीजन के दौरान अल्मोड़ा पहुंचते हैं, वह इस मंदिर के दर्शन करते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से यहां पूजा अर्चना करने से मनुष्य को सभी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

इस बार बाहर के दलों को नहीं बुलाया

सुदर्शन लाल साह, सचिव, कुंदन लाल साह, रिलीजियस एंड चेरीटेबिल ट्रस्ट ने बताया कि 141 साल पुराना यह मंदिर लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर श्रद्धालुओं के हितों के दृष्टिगत ट्रस्ट की ओर से विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। कोविडकाल के कारण इस बार बाहर से आने वाली सांस्कृतिक दलों की टीमों को नहीं बुलाया गया है। श्रद्धालुओं को पूजा-अर्चना के दौरान किसी भी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए पूरी तैयारियां कर ली गई हैं।

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