चट्टान टूटने से मलारी हाईवे चार दिन से बंद, सेना और ग्रामीणों की आवाजाही ठप

उत्तराखंड देहरादून

मलारी हाईवे बृहस्पतिवार को चौथे दिन भी वाहनों की आवाजाही के लिए नहीं खुल पाया। यहां दो जगहों पर चट्टान टूटने से हाईवे पूरी तरह से ध्वस्त है। चट्टान से बड़े-बड़े बोल्डर हाईवे पर अटके हुए हैं, जिससे सीमांत क्षेत्र के गांवों के ग्रामीणों के साथ ही सेना के जवानों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

तिब्बत (चीन) सीमा क्षेत्र के गांवों में पिछले चार दिनों से बिजली और संचार सेवा भी ठप है। 17 अक्तूबर की रात से क्षेत्र में भारी बारिश के बाद तमकनाला, भापकुंड और तपोवन से करीब दो किलोमीटर आगे हाईवे अवरुद्ध हो गया था। तीन दिनों से बीआरओ की टीम और मशीनें बदरीनाथ हाईवे को खोलने में जुटी हुई है। इस कारण मलारी हाईवे को अभी तक नहीं खोला जा सका है।

नीती घाटी के 13 गांवों में बिजली गुल
तिब्बत (चीन) सीमा क्षेत्र के 13 गांव फिर से आफत में हैं। 17 अक्तूबर से तीन दिनों तक रही बारिश से घाटी में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। 17 अक्तूबर रात घाटी की विद्युत लाइन तमकनाले में ध्वस्त हो गई थी। इससे नीती, गमशाली, गरपक, महरगांव, कोषा, बांपा, मलारी आदि गांवों में चार दिनों से बिजली नहीं है। बिजली न होने से क्षेत्र में संचार सेवा भी ठप है। इससे पहले 7 फरवरी को ऋषिगंगा के मुहाने पर ग्लेशियर टूटने से आई आपदा में भी नीती घाटी के ग्रामीणों ने भारी मुसीबत झेली थी।

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