नैनीताल : चार दिसंबर को लगने जा रहा साल का अंतिम सूर्यग्रहण भारत समेत दुनिया के अधिकांश हिस्सों से नहीं देखा जा सकेगा। इस पूर्ण सूर्यग्रहण का प्रभाव सिर्फ दक्षिणी गोलाद्र्घ में रहेगा, जो अंटार्कटिका, दक्षिणी अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका व आस्ट्रेलिया से देखा जा सकेगा।
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ सौर विज्ञानी एवं पूर्व निदेशक डा. वहाबउद्दीन का कहना है कि सूर्य पूथ्वी से 109 गुना बड़ा है, जबकि चंद्रमा का व्यास पृथ्वी का मात्र एक चौथाई है। इस कारण सूर्यग्रहण के दौरान चंद्रमा की छाया पृथ्वी के सीमित हिस्से को ही ढक पाती है।
चार दिसंबर को लगने जा रहे सूर्य ग्रहण के दौरान ग्रहण का छायादार हिस्सा दक्षिणी गोलाद्र्घ के हिस्से में पड़ेगा। जिस कारण उत्तरी गोलाद्र्घ में इसका असर नहीं देखा जा सकेगा। डा. बहाबउद्दीन के अनुसार यह पूर्ण सूर्यग्रहण चार दिसंबर को भारतीय समय के अनुसार सुबह 10:59 बजे शुरू हो जाएगा और दोपहर 1:03 बजे ग्रहण चरम पर पहुंचेगा। इसके बाद दोपहर 3:07 बजे ग्रहण की छाया धरती से मुक्त हो जाएगी।
इस साल लग रहे दो सूर्यग्रहण
साल 2021 में दो सूर्यग्रहण लग रहे हैं, इनमें से एक 10 जून को लग चुका है, हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2021 को दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण आगामी 4 दिसंबर 2021, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को लगेगा। साल का आखिरी सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में दिखाई पड़ेगा। इस ग्रहण को भारत में नहीं देखा जा सकेगा।
अगले साल लगेंगे चार ग्रहण
साल 2022 में चार ग्रहण लगेंगे, जिनमें दो सूर्य व दो चंद्रग्रहण होंगे। पहला आंशिक सूर्यग्रहण लगेगा, जो 30 अप्रैल को होगा। इसके बाद 15 मई को पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। इसके बाद 25 अक्टूबर को दूसरा सूर्यग्रहण लगेगा, जो आंशिक होगा। इसके बाद सात नवंबर को पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा।
जानिए सूर्यग्रहण लगने का कारण
जब जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है, वह स्थिति सूर्य ग्रहण की होती है। इस दौरान चंद्रमा सूर्य की रोशनी को आंशिक या पूर्ण रूप से अपने पीछे ढंकते हुए उसे पृथ्वी तक पहुंचने से रोक लेता है। ऐसी स्थिति में रोशनी के नहीं पड़ने पर पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है। इसी खगोलीय घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।