देहरादून। स्वामी मैथिलीशरण ने कहा कि हनुमान राम नाम की वह मुद्रिका हृदय में लेकर चलते हैं, जिसे न तो शस्त्र से काट सकता है, न अग्नि जला सकती है, न वायु सुखा सकती है और न जल से गीला ही किया जा सकता है। जिसका उल्लेख गीता और रामायण में भी हुआ है। ऐसे सत्संग से ही मनुष्य के आंतरिक क्लेश मिट सकते हैं। स्वामी मैथिलीशरण ने राजा रोड स्थित गीता भवन मंदिर में तीन दिवसीय हनुमत चरित्र कथा के पहले दिन यह उद्गार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि रावण के जीवन और उसके ज्ञान की यह दुर्भाग्यपूर्ण विडंबना थी कि उसे हनुमान के रूप में बंदर तो दिखाई दे रहा था, लेकिन बंदर के हृदय में निराकार राम नहीं दिखे। जबकि, विभीषण ने सत्संगी मति होने के कारण हनुमान और राम, दोनों की महिमा का रसोपान किया। हनुमान को रावण न जला पाया, न मार पाया, अपितु सारी लंका जलकर भस्म हो गई, वाटिका उजड़ गई, राक्षस मारे गए। कहा कि जो दिखाई दे रहा है, वह माया है और जो दिखाई नहीं दे रहा, वही अभेद्य है, अकाट्य है, अवयव है। सावयव को ही काटा या जलाया जा सकता है, पर जो साकार होते हुए भी निराकार है, उस आत्म तत्व को रावण कैसे समाप्त कर सकता है।
शहर में निकाली लव-कुश की शोभायात्रा
वाल्मीकि समाज ने शहर में लव-कुश के विजय दिवस पर शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा में श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। रविवार को चंदरनगर में लव-कुश की शोभायात्रा से पहले सैकड़ों श्रद्धालु एकत्रित हुए। शोभायात्रा वाल्मीकि चौक, गुरु गोविंद चौक, प्रिंस चौक होते हुए चंदरनगर के पांडाल में आकर संपन्न हुई। राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के सदस्य जयपाल वाल्मीकि ने बताया कि लव-कुश के पात्र बनाए गए। जिसके बाद शहर में यात्रा निकाली गई। उन्होंने कहा कि विजय दिवस के उपलक्ष्य में हर वर्ष लव-कुश की शोभायात्रा निकाली जाती है। इस अवसर पर लक्ष्मी नारायण, शिव कुमार, नानक चंद, शेर सिंह, राकेश चड्ढा आदि मौजूद रहे।
great article
Insightful piece
Acute renal failure from inhalation of mycotoxins.
Look at discount offers to get a great deal when you can https://ivermectinfastmed.com/ buy oral ivermectin , when we have the brand product you need?
Equine herpesvirus infection can become a serious problem.