देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता का चयन तो लटक ही गया, प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी पेच फंस गया है। विधायकों के दो खेमों में बंटने से सोमवार रात्रि दिल्ली में कांग्रेस के गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित वार रूम में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में सहमति नहीं बन सकी। विधायकों के एक खेमे ने प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को बदलने की मुहिम भी तेज कर दी है। रार बढ़ने पर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर नेता प्रतिपक्ष पद पर फैसला लेने को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अधिकृत किया गया।
प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी सोनिया गांधी निर्णय ले सकती हैं। अब मंगलवार को यानी आज फैसला होने की उम्मीद है। बीती 13 जून को डा इंदिरा हृदयेश के निधन से रिक्त हुई नेता प्रतिपक्ष की सीट को लेकर कांग्रेस के भीतर खेमेबाजी तेज हो गई है। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत के खेमों में पार्टी बंटी नजर आ रही है। 2022 के विधानसभा चुनाव से महज चंद महीनों पहले नेता प्रतिपक्ष के चयन की कवायद के साथ ही पार्टी में एक खेमे ने प्रदेश अध्यक्ष को भी बदलने की मुहिम तेज कर दी है। इससे नेता प्रतिपक्ष के चयन का मसला और पेचीदा हो गया है।
हरीश रावत समर्थकों का यह खेमा नेता नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के पदों पर ब्राहमण-ठाकुर के फार्मूले की पैरवी कर रहा है। चूंकि कांग्रेस विधायक दल में अब ब्राह्मण चेहरा नहीं है, लिहाजा प्रदेश अध्यक्ष पद किसी ब्राह्मण को सौंपने की पैरवी की जा रही है। बीते दो दिन से दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल दल नेता चुनने की मशक्कत सोमवार को भी अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। दिनभर प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की कई दौर की वार्ता हुई। सोमवार रात्रि आठ बजे कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई।
बैठक में नेता प्रतिपक्ष के नाम पर सहमति नहीं बनी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह नेता प्रतिपक्ष का पद उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा को सौंपने के पक्ष में हैं। वहीं दूसरे खेमे की ओर से हरिद्वार जिले से पार्टी विधायक ममता राकेश और पार्टी के वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल के नाम को आगे बढ़ाया जा रहा है। खास बात ये है कि करन माहरा को हरीश रावत खेमे का ही करीबी माना जाता है, लेकिन ये खेमा इस मामले में उनका समर्थन नहीं कर रहा है।
नेता प्रतिपक्ष बनने के पक्ष में नहीं प्रीतम
विधायकों में प्रीतम सिंह, करन माहरा, आदेश चौहान व राजकुमार एक पाले में तो गोविंद सिंह कुंजवाल, हरीश धामी, फुरकान अहमद, ममता राकेश और मनोज रावत दूसरे पाले में खड़े दिखाई दिए। विधायक काजी निजामुद्दीन तटस्थ बताए जा रहे हैं। हालांकि नेता प्रतिपक्ष के तौर पर करन माहरा को उनकी भी पसंद बताया जाता है। नेता प्रतिपक्ष चुने जाने के साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की मुहिम भी दूसरे खेमे की ओर से तेज कर दी गई है। प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी हटाए जाने की सूरत में प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष पद देने की पैरवी की गई है। हालांकि प्रीतम सिंह ने चुनाव से महज चंद महीनों पहले और महज एक विधानसभा सत्र शेष रहते नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी लेने से इन्कार कर दिया है।
ब्राह्मण चेहरा खुद तय करना चाहते हैं प्रीतम
सूत्रों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष पद पर यूं तो ब्राह्मण चेहरे की पैरवी की जा रही है, लेकिन विधायकों का एक तबका पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को यह जिम्मेदारी सौंपने के पक्ष में है। सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रीतम सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष से हटाने की स्थिति में ब्राह्मण चेहरा तय करने में उनकी सहमति लेने पर जोर दिया है। ब्राहमण चेहरे के तौर पर पूर्व विधायक गणेश गोदियाल का नाम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर लिया जा रहा है।
हरीश रावत से हट सकता है पंजाब प्रभारी का पद
सूत्रों की मानें तो हरीश रावत को पंजाब कांग्रेस प्रभारी की जिम्मेदारी से मुक्त किया जा सकता है। उनकी यह जिम्मेदारी वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडग़े को दी जा सकती है। बताया जाता है कि हरीश रावत खुद भी पंजाब प्रभारी पद की जिम्मेदारी छोड़ने के इच्छुक हैं। उन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड में चुनाव संचालन समिति का प्रभार सौंपने की चर्चा भी है।
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