पाकिस्तानी तालिबानी बढ़ा रहे भारतीयों की परेशानी, वहां फंसे पूर्व सैनिक कमल थापा ने सुनाई आपबीती

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून। तालिबान भले ही लाख दावे करे कि वह अमन और चैन का पक्षधर है, मगर अफगानिस्तान की आबोहवा में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आ रहा। सत्ता पर काबिज होने के बाद अफगानिस्तान में उसका आतंकी स्वरूप नुमाया होने लगा है। हाल यह है कि देश में गोलीबारी और धमाकों का सिलसिला थम नहीं रहा। इससे हर तरफ भय का माहौल है। लोग छिपकर रहने को मजबूर हैं। दूसरी तरफ, पाकिस्तान से जुड़े तालिबानी भारतीय नागरिकों के लिए परेशानी बढ़ा रहे हैं। ये लोग भारतीय नागरिकों से लूटपाट करने के साथ उनकी घर वापसी रोकने को हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उत्तराखंड सब एरिया के जीओसी मेजर जनरल संजीव खत्री से संवाद के दौरान पूर्व सैनिक कमल थापा ने अपनी आपबीती सुनाते हुए यह बताया।

देहरादून के रहने वाले कमल थापा 22 अगस्त को काबुल से दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि वह पिछले दो साल से काबुल में ब्रिटिश-अफगान कंपनी सलादीन के लिए सिक्योरिटी गार्ड का काम कर रहे थे। इस कंपनी ने काबुल पर तालिबान का कब्जा होते ही अपने कर्मचारियों की सुरक्षा करने और उन्हें घर वापस भेजने की जिम्मेदारी से हाथ खींच लिए। सभी कर्मचारियों से अपने दस्तावेज जलाकर वहां से निकलने के लिए कह दिया गया। इसके बाद कंपनी चला रहे लोग कर्मचारियों को अपने हाल पर छोड़कर भाग गए।

16 अगस्त की दोपहर तालिबान के लड़ाके कंपनी में घुस आए और सिक्योरिटी में तैनात सभी व्यक्तियों को हथियार डालने का आदेश दिया। साथ ही चेतावनी दी कि हथियार नहीं उठाने तक ही वह लोग सुरक्षित हैं। इसके बाद कमल थापा ने अपने 17 अन्य भारतीय साथियों के साथ वहां से निकलने की योजना बनाई। 16 अगस्त की शाम को वह लोग कंपनी से बाहर निकल गए। रास्ते में एक पोस्ट पर तालिबान लड़ाकों ने उन्हें रोक कर सलाह दी कि पाकिस्तानी तालिबानी और स्थानीय नागरिकों से बचकर रहना।

तालिबान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आप लोग को सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया है, लेकिन पाकिस्तानी तालिबानियों और स्थानीय नागरिकों पर उनका कोई काबू नहीं है। यहां से एक तालिबान लड़ाके ने अपनी सुरक्षा में उनकी गाड़ी को काबुल एयरपोर्ट तक पहुंचाया। इसके चलते किसी भी पाकिस्तानी तालिबानी या स्थानीय व्यक्ति की उन्हें परेशान करने की हिम्मत नहीं हुई।

काबुल एयरपोर्ट पर दो दिन तक इंतजार करने के बाद भारतीय वायुसेना के विमान में उनका दल कतर पहुंचा। वहां भारतीय वायुसेना ने उन्हें खाना-पानी समेत अन्य सुविधाएं दीं। कमल ने बताया कि इससे पहले तीन दिन तक उन्हें ठीक से खाना नसीब नहीं हुआ था। दो दिन और इंतजार करने के बाद 22 अगस्त को एयर इंडिया के विमान से वह लोग दिल्ली आए।

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