नैनीताल। हाई कोर्ट ने हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के खिलाफ दर्ज मुकदमे को निरस्त करने के लिए प्रबोधानंद गिरी की याचिका पर शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की। न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनएस धानिक की एकल पीठ ने मामले में प्रदेश सरकार को 25 जनवरी तक स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया।
यह है मामला
हरिद्वार के ज्वालापुर निवासी नदीम अली ने दो जनवरी को हरिद्वार कोतवाली में तहरीर देकर आरोप लगाया कि हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक धर्म संसद का आयोजन किया गया। इसमें कुछ कथित संतों ने मुस्लिम समाज के खिलाफ युद्ध छेडऩे का आह्वान किया। पवित्र ग्रंथ कुरान व पैगंबर साहब के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग भी किया। बाद में जितेंद्र नारायण त्यागी, यति नरसिंघानन्द व अन्य ने इसका वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इस भड़काऊ भाषण से जिले में अशांति का माहौल बना रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबोधानंद गिरी ने हरिद्वार की मस्जिदों में रह रहे लोगों के खिलाफ हिंसा फैलाने का प्रयास भी किया।
इनके खिलाफ मुकदमा
पुलिस ने नदीम अली की शिकायत पर यति नरसिंघानंद गिरी, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, परमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा, स्वामी आनंद स्वरूप, अस्वनी उपाध्याय, सुरेश चह्वाण सहित स्वामी प्रबोधानंद गिरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। इसी मामले में गिरफ्तारी पर रोक व दर्ज मुकदमे को निरस्त कराने के लिए स्वामी प्रबोधानंद गिरी ने हाई कोर्ट में अपील की। मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी।
इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी
भड़काऊ भाषण मामले में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिजवी) व उन्हें आध्यात्मिक गुरु यति नरसिंघानंद गिरी की गिरफ्तारी हो चुकी है। अन्य आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस प्रयास कर रही है।