पाखरो रेंज घोटाले में पूर्व डीएफओ किशनचंद और रेंजर के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट भेजी, लगे ये आरोप

उत्तराखंड देहरादून

पाखरो रेंज घोटाले के आरोपी पूर्व डीएफओ किशनचंद और पूर्व रेंजर बृजबिहारी शर्मा के खिलाफ विजिलेंस ने चार्जशीट कोर्ट भेज दी है। कोर्ट जल्द ही इसका संज्ञान ले सकता है। दोनों पूर्व अधिकारियों पर पद के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में चार्जशीट हुई है। पूर्व डीएफओ पिछले साल दिसंबर से जेल में है जबकि बृजबिहारी शर्मा को जमानत मिल चुकी है।

बता दें कि विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज के 106 हेक्टेयर वन क्षेत्र में टाइगर सफारी का निर्माण होना था। वर्ष 2019 में इसका निर्माण कार्य बिना वित्तीय स्वीकृति के शुरू कर दिया गया। पेड़ काटने और अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने स्थलीय निरीक्षण किया था। इस दौरान अनियमितताएं सामने आईं। पता चला कि इन सब कार्यों में अधिकारियों ने ठेकेदारों की मिलीभगत से 215 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए।

इस मामले में पिछले साल विजिलेंस के हल्द्वानी सेक्टर में मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच के बाद विजिलेंस ने पिछले साल ही पहले बृजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 24 दिसंबर को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार कर लिया गया। किशनचंद अभी सुद्धोवाला जेल में बंद है। इस मामले में विजिलेंस ने हर पहलू को ध्यान में रखते हुए विवेचना की और दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली।

इसमें दोनों पर बिना अनुमति के काम चालू कराने, निर्धारित अनुमति से ज्यादा रिजर्व फॉरेस्ट से हरे पेड़ कटवाने, सरकारी धन का दुरुपयोग करने और भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के आरोप हैं। एसपी विजिलेंस धीरेंद्र गुंज्याल ने बताया कि इन सभी आरोपों को शामिल करते हुए चार्जशीट भेज दी गई है। जल्द ही मुकदमे का ट्रायल शुरू हो जाएगा। अन्य आरोपियों की जांच फिलहाल चल रही है। इनके खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट बाद में भेजी जाएगी।
इस तरह के हैं आरोप

  • पाखरो रेंज में 215 करोड़ के कार्यों की समीक्षा के दौरान पता चला था कि टाइगर सफारी के नाम पर खर्च हुआ पैसा दूसरे काम के लिए था। इसे कमीशन और अन्य लालच में ठेकेदारों को आवंटित कर दिया।
  • गड़बड़ी करने वाले अधिकारी इस बात को लेकर भी आश्वस्त थे कि उन्हें जो पैसा बाद में मिलेगा, उसे उसी मद में जमा कर दिया जाएगा। जिस जगहों पर सड़क, भवन और अन्य निर्माण कार्य हुए वह कोर सेंसिटिव जोन में आता है। यहां किसी भी तरह के निर्माण कार्य नहीं हो सकते हैं।
  • कालागढ़ रेंज के पूर्व डीएफओ किशनचंद ने निदेशक के आदेश को भी दरकिनार कर दिया था। बिना वित्तीय स्वीकृति के निर्माण कार्य की जानकारी मिलते ही कार्बेट पार्क के निदेशक ने रोक लगाने के निर्देश दिए थे।
  • विजिलेंस की जांच में सामने आया है कि पेड़ों का कटान भी बड़े पैमाने पर हुआ है। शासन ने निर्माण कार्य में आड़े आ रहे 163 पेड़ काटने की अनुमति दी थी। लेकिन, वनाधिकारियों ने अपनी जेब भरने के लिए 163 के बजाय 6200 पेड़ों पर आरी चला दी।