Saturday, May 18, 2024

ISRO XPoSat Mission: तारों की अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाने में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा एक्सपोसैट, जल्द आएंगे नतीजे

उत्तराखंड नैनीताल

ISRO New Mission आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के निदेशक प्रो दीपांकर बनर्जी ने भारतीय अंतरिक्ष मिशन एक्सपोसैट को लेकर यह विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष तकनीकी क्षेत्र में देश विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुका है। 2023 में चांद और सूरज पर भेजे गए मिशन ताजा प्रमाण है और अब एक्सपोसैट की सफल लॉन्चिंग के बाद अपनी कक्षा में स्थापित होना बड़ी कामयाबी है।

 नैनीताल। ISRO XPoSat Mission: अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को पार करते भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक्सपोसैट मिशन ने अत्याधुनिक उपकरणों के साथ एक और मुकाम सोमवार को स्पर्श कर लिया है। उम्मीद है कि एक्सपोसैट तारों की अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाने में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के निदेशक प्रो दीपांकर बनर्जी ने भारतीय अंतरिक्ष मिशन एक्सपोसैट को लेकर यह विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष तकनीकी क्षेत्र में देश विश्व में अपनी अलग पहचान बना चुका है।

अपनी कक्षा में स्थापित होने में सफल रही एक्सपोसैट

2023 में चांद और सूरज पर भेजे गए मिशन ताजा प्रमाण है और अब एक्सपोसैट की सफल लॉन्चिंग के बाद अपनी कक्षा में स्थापित होना बड़ी कामयाबी है। इससे पहले करीब एक दशक पहले भेजे गए एस्ट्रोसैट ने दुनिया में भारत को अलग पहचान दी थी।

इनके अलावा आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज ने 2016 में 3.6 मीटर ऑप्टिकल दूरबीन के बाद पिछले वर्ष चार मीटर लिक्विड मिरर टेलिस्कोप स्थापित कर अंतरिक्ष विज्ञान तकनीक के क्षेत्र में भारत का लोहा मनवाया था। इस बीच मार्स ऑर्बिटर मिशन की सफलता ने अलग मिसाल कायम की।

सोमवार को भेजे गए एक्सपोसैट का परीक्षण शुरू हो जाएगा, जिसके परिणाम संभवतः अगले दो सप्ताह में सामने आने लगेंगे। प्रो बनर्जी ने कहा कि बड़े तारों के प्रति समझ को बढ़ाना वैज्ञानिकों के सामने बड़ी चुनौती है। जिनका रहस्य उजागर करने के लिए एक्सपोसैट में दो ऐसे पेलोड भेजे गए हैं, जो न्यूट्रान तारों के स्वभाव को समझने में मददगार साबित होंगे।

साल की विदाई पर सूर्य ने उगली सबसे बड़ी ज्वाला

वर्ष की विदाई पर सूर्य ने इस सोलर साइकिल की सबसे बढ़ी भीषण ज्वाला उगली है। यह ज्वाला एक्स- 5 श्रेणी की थी। नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी (एसडीओ) ने इस भीषण सौर ज्वाला को कमरे में कैद किया है।

एरीज के निर्देशन प्रो दीपांकर बनर्जी ने बताया कि 31 दिसंबर को सूर्य के पूर्वी छोर पर उभरा विशाल सनस्पॉट एआर3536 में विस्फोट हो गया। सौर वैज्ञानिकों का मानना है कि यह इस सौर चक्र की सबसे तीव्र ज्वाला है। सितंबर 2017 के बाद सूर्य में इस तरह का सबसे शक्तिशाली विस्फोट हुआ है। ज्वाला से निकले विकिरण के कारण प्रशांत महासागर के ऊपर गहरा शॉर्टवेव रेडियो ब्लैकआउट हुआ।

यह 25वां सोलर साइकिल चल रहा है। जिसमें सूर्य अत्यधिक सक्रियता के दौर से गुजर रहा है। पिछले करीब डेढ़ वर्ष के अंतराल में एक्स समेत एम व सी श्रेणी की सैकड़ों ज्वाला निकल चुकी हैं। इन ज्वालाओं से निकलने वाले भू चुम्बकीय सौर तूफानों का असर पृथ्वी के ध्रुवों पर अरोरा के रूप के देख चुके हैं।